Blog Image

उत्तराखंड एक संक्रमण के दौर से गुजर रहा है एक ऐसा संक्रमण जिसमें संभावनाएं अब योजनाओं तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वे जमीन पर दिखाई देने लगी हैं। हमारा प्रदेश आज उन राज्यों की पंक्ति में खड़ा है जो स्पष्ट नेतृत्व, नीतिगत दृढ़ता और प्रशासनिक पारदर्शिता के बल पर अपने नागरिकों को वास्तविक लाभ पहुंचा रहे हैं।

मैंने जब उत्तराखंड के लिए “नए उत्तराखंड” का सपना देखा, तो उसमें सिर्फ़ बुनियादी ढांचे का विस्तार नहीं था, उसमें हमारी युवाशक्ति को रोज़गार, उद्योगों को अनुकूल वातावरण और निवेशकों को भरोसेमंद प्रशासन उपलब्ध कराना प्रमुख था।

इसी सोच को दिशा देने के लिए हमने बीते वर्ष ‘उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ का आयोजन किया। लेकिन हमने इस आयोजन को एक "सम्मेलन" तक सीमित नहीं रखा। हमने इसे एक लक्ष्यबद्ध क्रियावली के रूप में लिया, जिसमें हर निवेश प्रस्ताव के पीछे यह ठान लिया गया कि यह कागज़ पर नहीं रहेगा, बल्कि धरातल तक पहुँचेगा।

आज मुझे यह साझा करते हुए प्रसन्नता है कि उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के दौरान कुल ₹3.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश संबंधी समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह राज्य के आर्थिक इतिहास में एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। इससे भी अधिक संतोषजनक तथ्य यह है कि अब तक इनमें से ₹1 लाख करोड़ से अधिक मूल्य की परियोजनाएं ग्राउंडिंग की अवस्था में पहुँच चुकी हैं, अर्थात उनका वास्तविक धरातल पर क्रियान्वयन प्रारंभ हो चुका है। यह हमारे नीति-संशोधन, प्रशासनिक तत्परता और निवेशकों के प्रति उत्तरदायी दृष्टिकोण का प्रमाण है।

यह उपलब्धि केवल आंकड़ों की नहीं है, यह उत्तराखंड के उस आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति है जो अब अपने संसाधनों, नेतृत्व और युवाओं की शक्ति पर विश्वास करता है। इन निवेश प्रस्तावों के माध्यम से राज्य में 80,000 से अधिक नए रोज़गार के अवसर सुनिश्चित हो चुके हैं। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य के लिए यह संख्या केवल आर्थिक आंकड़ा नहीं, बल्कि सामाजिक स्थायित्व और पलायन पर लगाम का ठोस संकेत है।

उद्योग विभाग ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई है। विभाग की विभिन्न परियोजनाओं से 45,000 से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार सृजित होने जा रहे हैं। यह न केवल प्रदेश की औद्योगिक क्षमता को मज़बूत करता है, बल्कि स्थानीय युवाओं को अपने क्षेत्र में ही स्थायी आजीविका प्रदान करता है।

ऊर्जा विभाग की योजनाएं प्रदेश के सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक प्रभावशाली पहुंच बना रही हैं। इस विभाग के माध्यम से 8,472 परिवारों को रोजगार मिलने वाला है। यह ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण का उदाहरण है।

शहरी विकास प्राधिकरण (UHUDA) के अंतर्गत चल रही योजनाओं से 5,172 नागरिकों को उनके ही शहरों और कस्बों में आजीविका मिलेगी। इससे शहरी विकास अब केवल अवसंरचना तक सीमित नहीं, बल्कि मानव-केंद्रित योजनाओं की ओर अग्रसर हो रहा है।

पर्यटन विभाग उत्तराखंड की संस्कृति और प्रकृति को आर्थिक संसाधन में बदलने की दिशा में सफलतापूर्वक काम कर रहा है। वर्तमान निवेश के माध्यम से 4,694 नए रोजगार सृजित होंगे, जो ग्रामीण और पर्वतीय क्षेत्रों के लिए विशेष महत्व रखते हैं।

उच्च शिक्षा विभाग की योजनाओं से 4,428 युवाओं को अपने ही राज्य में शिक्षा आधारित रोजगार प्राप्त होगा। इससे न केवल ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि रोज़गार के लिए राज्य से बाहर जाने की प्रवृत्ति को भी रोका जा सकेगा। इसके अलावा, अन्य विभागों की परियोजनाएं लगभग 13,898 अतिरिक्त नौकरियों का सृजन कर रही हैं।

इस प्रकार, यह पूरी प्रक्रिया एक समग्र और समावेशी रोजगार सृजन मॉडल प्रस्तुत करती है, जिसमें हर विभाग, हर क्षेत्र और हर वर्ग को सम्मिलित किया गया है।

हमारे प्रयास केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं रहे। हमने निवेश को आकर्षित करने और उसे वास्तविकता में बदलने के लिए नीति और प्रणाली दोनों स्तरों पर क्रांतिकारी सुधार किए।

  • सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम को सशक्त किया गया।

  • विभागीय अनुमतियों के लिए समयबद्ध प्रक्रिया सुनिश्चित की गई।

  • निवेशकों से सीधे संवाद स्थापित कर, उनकी समस्याओं का तुरंत समाधान किया गया।

  • ज़मीनी स्तर पर जिला प्रशासन को उत्तरदायित्व के साथ जोड़ा गया।

मैंने स्वयं अनेक निवेशकों से भेंट की, उनकी आशंकाएं सुनीं, सुझावों को नीति का हिस्सा बनाया, और परियोजनाओं की निरंतर मॉनिटरिंग सुनिश्चित की। मेरा यह मानना है कि यदि किसी सरकार की नीयत साफ हो, कार्यशैली पारदर्शी हो और लक्ष्य जनहित से प्रेरित हो, तो बदलाव अवश्यंभावी होता है।

हमारा उद्देश्य केवल उद्योग लगाना नहीं है, बल्कि एक ऐसा सतत और संतुलित विकास मॉडल खड़ा करना है जो भविष्य की पीढ़ियों को भी समान अवसर दे सके। आज जो निवेश धरातल पर उतर रहे हैं, वे आने वाले वर्षों में राज्य को आर्थिक रूप से इतना मज़बूत बना देंगे कि हम न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे, बल्कि देश के विकास में अग्रणी भूमिका निभा सकेंगे।

उत्तराखंड अब केवल प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक नहीं रहा। यह अब उन राज्यों में शामिल हो चुका है जहाँ
• नीति में स्पष्टता है
• क्रियान्वयन में गति है
• और नेतृत्व में समर्पण है।

हम यह सुनिश्चित करेंगे कि ग्राउंडेड निवेश शीघ्र ही उत्पादन और सेवा प्रारंभ करें, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था में ठोस योगदान आए और जनता को त्वरित लाभ प्राप्त हो। मैं उत्तराखंड की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूँ, यह यात्रा अभी शुरू हुई है। हमारा हर कदम, हर नीति, और हर प्रयास जन कल्याण और राज्य निर्माण को समर्पित है।