
उत्तराखंड में भाजपा सरकार की अगुवाई में भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है. राज्य में यह नीति सबसे प्रमुख एजेंडा में से एक रही है. हमारी सरकार ने स्पष्ट किया है कि ‘भले छोटा हो या बड़ा, अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया गया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.” इस नीति के तहत पिछले तीन वर्षों में 150 से अधिक अधिकारियों, कर्मचारियों और संदिग्ध 'माफिया' को गिरफ्तार किया गया है.
प्रमुख भ्रष्टाचार मामलों में कार्रवाई
- हरिद्वार भूमि घोटाला
- इस मामले में लगभग 15 करोड़ की जमीन के लिए 54 करोड़ की भुगतान की गई थी, जिसे 'गैबेज डंप' के पास अनुपयोगी माना गया .
- हमने तुरंत निर्देश दिए कि ऐसे दस्तावेज रद्द किए जाएँ और सभी फंड वसूले जाएँ.
- इस घोटाले के चलते दो IAS, एक PCS अधिकारी सहित कुल 10 अधिकारी निलंबित हुए. इससे भ्रष्टाचार में शामिल उच्च-स्तरीय अधिकारियों का भी कोई संलिप्तता नहीं दिखाई देती.
हरियाणा–हरिद्वार नगरपालिका कमिश्नर मामला
- पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी द्वारा ₹36 करोड़ में 35 बीघा जमीन खरीदी गई थी, इसके लिए जांच शुरू हुई.
- हमने तुरंत एक ‘डिटेल्ड और निष्पक्ष’ जाँच के आदेश दिए तथा दोषी पाए जाने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी.
- पीडब्ल्यूडी इंजीनियरों का निलंबन
- चमोली के थराली में उत्पन्न हुई ब्रिज दुर्घटना में तीन इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया .
- हमने जिक्र किया कि कोई भी अधिकारी जो लापरवाही या भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाएगा, उसे छोड़ा नहीं जाएगा .
- भ्रष्टाचार में लिप्त एसआई की गिरफ्तारी
- देहरादून में एक लाख की रिश्वत लेते हुए एक सब-इंस्पेक्टर को पकड़ लिया गया.
- इसी अभियान में अधिकांश बिचौलियों चिटिंग माफियाओं के विरुद्ध कार्यवाही की गई और उनको जेल भेजा गया.
- धर्मांतरण एवं अन्य सरकारी जांच
- धर्मांतरण से जुड़े मामलों में भी हमने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे सभी रिपोर्टें संकलित करें.
- इसके अलावा राज्य में रिकवरी, अतिक्रमण अभियान, पहचान दस्तावेज़ों में भ्रष्टाचार की संभावना आदि के विषय भी जांचाधीन हैं.
कार्रवाई की मौजूदा रणनीति और असर
जमीनी स्तर पर पहचान और प्रतिबंध
- सतर्कता, फाइनेंस, और लोकपाक (विजिलेंस) विभागों द्वारा नियमित वेरीफिकेशन और टैप ऑपरेशन किए जा रहे हैं.
- स्क्वाड बनाकर सावधानीपूर्वक जाँच और ट्रैप ऑपरेशन में अधिकारियों की गिरफ्तारी की जाती है, जैसा कि एक लाख रिश्वत मामले और चिटिंग माफिया अभियान में हुआ.
कई स्तरों पर नीति निष्पादन
- भ्रष्टाचार मामलों की जांच राज्य के सचिव, डीजीपी, और विजिलेंस टीमों द्वारा की जाती है.
- सरकारी लेनदेन में फंड की रिकवरी और दोषियों के विरुद्ध कानूनी उपाय सुनिश्चित किए जा रहे हैं.
पारदर्शिता की नीति
- सभी जांच और कार्यवाही समयबद्ध और खुले रूप से लागू की जाती है.
- जुड़ाव, रिकॉर्ड की जांच, रिपोर्टिंग, और याचिका/शिकायतों को प्राथमिकता दी जाती है.
उपलब्धियां और चुनौतियां
उपलब्धियां
- तीन वर्षों में 150 से अधिक गिरफ्तारियाँ, 10 निलंबन, लैंड डीलों की डील रद्दीकरण, और एक करोड़ से अधिक रिश्वत पर कार्रवाई यह साफ संकेत देता है कि राज्य भ्रष्टाचार से जूझ रहा है.
- चिटिंग माफिया विरोधी अभियान से साबित हुआ कि सरकारी नौकरी प्रवेश की प्रक्रिया अब काफी साफ-सुथरी और पारदर्शी है, 23 हजार से अधिक युवा पारदर्शी भर्ती से जुड़े हैं.
चुनौतियाँ
- ज़मीन, पहचान पत्र, धर्मांतरण जैसे भ्रष्टाचार के नए रूप लगातार सामने आ रहे हैं, जिन्हें समयबद्ध रूप से जांचना आवश्यक है और इसके लिए हमने तैयारियां शुरू कर दी है.
- इस अभियान की निरंतरता बनाए रखना और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ नियमबद्ध गिरफ्तारी पर रोक लगाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है लेकिन हम इसके लिए प्रतिबद्धता से काम करते रहेंगे.
- लोक सहभागिता, जागरूकता और शिकायत प्रणाली को और मजबूत करना भी जरूरी है, इसलिए प्रदेश वासियों से आग्रह है की इस अभियान मे सरकार का साथ दें.