Biography
पुष्कर सिंह धामी
जीवन परिचय
पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री उत्तराखंड,
55 विधानसभा- चंपावत (उत्तराखण्ड)
1.विधानसभा का नाम : 55, विधानसभा- चंपावत
2. पिता : स्व. शेर सिंह धामी (पूर्व सैनिक) – माता का नाम : श्रीमती विश्ना देवी
3.पत्नी का नाम : श्रीमती गीता धामी
4. पुत्र – दिवाकर धामी
प्रभाकर धामी
5.शैक्षिक योग्यता :
(क) शैक्षणिक योग्यता – स्नातकोत्तर
(ख) व्यावसायिक – मानव संसाधन प्रबंधन और औद्योगिक संबंध में मास्टर्स
5.जन्म तिथि : 16.09.1975
6. राजनीतिक दल: भारतीय जनता पार्टी
जन्म – देवभूमि उत्तराखण्ड के अति सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ की ग्राम सभा टुण्डी, तहसील-डीडीहाट में जन्म हुआ। सैनिक पुत्र होने के नाते राष्ट्रीयता, सेवा भाव एवं देशभक्ति को ही धर्म के रूप में अपनाया। आर्थिक आभाव में जीवन यापन कर सरकारी स्कूलों से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की। तीन बहनों के पश्चात अकेला पुत्र होने के नाते परिवार के प्रति जिम्मेदारियाँ हमेशा बनी रही।
प्रारंभिक जीवन:- माता जी का एक धर्मपरायण, मृदुभाषी एवं अपने परिवार के प्रति समर्पित घरेलू महिला होने तथा पिता के सैनिक होने के कारण देश की सरहद पर हर पल तन-मन न्यौछावर करने की देश-भक्ति की प्ररेणा से ओत-प्रोत वाले मन-मस्तिष्क में सदैव देश एवं प्रदेश के लिए कुछ कर गुजरने की ललक के कारण बचपन से ही स्काउट गाइड, एन.सी.सी., एन.एस.एस. इत्यादि शाखाओं में प्रतिभाग एवं समाजिक कार्यों को करने की भावना तथा “संधे शक्ति कलयुगें’’ के मूलमंत्र के आधार पर छात्रशक्ति को उनके हकों एवं उत्थान के लिए एकजुट करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ने के मुख्य कारण रहे हैं।
लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्रों को एकजुट करके निरन्तर संधर्षशील रहते हुए उनके शैक्षिणक हितों की लड़ाई लड़ते हुए उनके अधिकार दिलाये गये तथा शिक्षा व्यवस्था के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। राजनीतिक दल भारतीय जनता पार्टी से जुड़ने का कारण भी राष्ट्रीयता, देशभक्ति, कमजोर एवं युवा बेरोजगार के प्रति कुछ कर गुजरने की भावना रही। यही राजनीति में आने का उदे्श्य रहा।
राजनीतिक जीवन
राजनीतिक यात्राः- सन् 1990 से 1999 तक जिले से लेकर राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में विभिन्न पदों में रहकर विद्यार्थी परिषद में कार्य किया है। इसी दौरान अलग-अलग दायित्वों के साथ-साथ प्रदेश मंत्री के तौर पर लखनऊ में हुये अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सम्मेलन में संयोजक एवं संचालन कर प्रमुख भूमिका निभाई।
उत्तराखण्ड राज्य की भौगोलिक परिस्थियों को नज़दीक से समझते हुए क्षेत्रीय समस्याओं की समझ और उत्तराखण्ड राज्य गठन के उपरान्त पूर्व मुख्यमंत्री जी के साथ एक अनुभवी सलाहकार के रूप में 2002 तक कार्य किया।
कुशल नेतृत्व क्षमता एवं संधर्षशीलता होने के कारण दो बार भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सन् 2002 से 2008 तक छः वर्षो तक लगातार पूरे प्रदेश में जगह-जगह भ्रमण कर युवा बेरोजगार को संगठित करके अनेकों विशाल रैलियां एवं सम्मेलन आयोजित किये। संघर्षों के परिणाम स्वरूप तत्कालीन प्रदेश सरकार से स्थानीय युवाओं को 70 प्रतिशत आरक्षण राज्य के उद्योगों में दिलाने में सफलता प्राप्त की। इसी क्रम में दिनांक 11.01.2005 को प्रदेश के 90 युवाओं को जोड़कर विधान सभा का घेराव हेतु एक ऐतिहासिक रैली आयोजित की, जिसे युवा शक्ति प्रदर्शन के रूप में उदाहरण स्वरूप आज भी याद किया जाता है।
कुशल नेतृत्व क्षमता तथा शैक्षिणिक एवं व्यावसायिक योग्यता के कारण पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में वर्ष 2010 से 2012 तक शहरी विकास अनुश्रवण परिषद के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यशील रहते हुए क्षेत्र की जनता की समस्याओं का समाधान कराने में आशातीत सफलता प्राप्त की, जिसका प्रतिफल जनता द्वारा 2012 के विधानसभा चुनाव में “विजयश्री’’ दिलाते हुए अपने जनप्रिय विधायक के रूप में विधानसभा में पंहुचाकर उनकी आवाज को और भी अधिक बुलन्दी के साथ सरकार के समक्ष उठाते हुए क्षेत्रीय जनता को उनके मौलिक अधिकारों एवं जीवन यापन के हकों को दिलवाने के लिए उनके विधानसभा प्रतिनिधि होने का गौरव प्राप्त हुआ। जुलाई 2021 में भाजपा पार्टी के केंद्र नेतृत्व ने उन पर विश्वास कर उत्तराखंड (देवभूमि) के “मुख्य सेवक” (मुख्यमंत्री) के रूप में सेवा करने और सुशासन के नए मानकों को स्थापित करने का अवसर प्रदान किया।